The PM Vishwakarma Yojana पीएम विश्वकर्मा योजना भारत सरकार की एक योजना है, जो परंपरागत कारीगरों और शिल्पकारों की मदद के लिए बनाई गई है। इसका मकसद है कि ये लोग अपने काम को और बेहतर तरीके से कर सकें और अपने व्यवसाय को बढ़ा सकें। जिसका उद्देश्य परंपरागत कारीगरों और शिल्पकारों को सशक्त बनाना है। यह योजना उन लोगों के लिए बनाई गई है, जो पारंपरिक हस्तशिल्प और कला से जुड़े हुए हैं, जैसे बढ़ई, लोहार, सुनार, मोची, दर्जी और बुनकर आदि। इस योजना का नाम भगवान विश्वकर्मा के नाम पर रखा गया है, जिन्हें हिंदू धर्म में देव शिल्पकार माना जाता है।
पीएम विश्वकर्मा योजना के मुख्य उद्देश्य:
- परंपरागत कारीगरों को सशक्त बनाना: इस योजना का मुख्य उद्देश्य परंपरागत कारीगरों की आजीविका में सुधार करना और उनके व्यापार को बढ़ावा देना है।
- कौशल विकास: कारीगरों को बेहतर और आधुनिक तकनीक से लैस करने के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है, जिससे वे अपने काम को अधिक कुशल और प्रतिस्पर्धात्मक बना सकें।
- आर्थिक सहायता: कारीगरों को व्यवसाय बढ़ाने और उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें ऋण और सब्सिडी शामिल हैं।
योजना की मुख्य विशेषताएँ और लाभ:
1. ₹1 में टूल किट:
- योजना के तहत पंजीकरण करने वाले कारीगरों को उनकी कारीगरी के अनुसार ₹1 में टूल किट प्रदान की जाती है, जिससे उन्हें बेहतर उपकरणों के साथ काम करने में मदद मिलेगी।
2. कौशल प्रशिक्षण:
- प्राथमिक प्रशिक्षण: सभी पंजीकृत कारीगरों को 5 से 7 दिनों (40 घंटे) का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें उनके काम की बुनियादी तकनीकों पर ध्यान दिया जाता है।
- उन्नत प्रशिक्षण: इसके बाद कारीगरों को 15 दिनों (120 घंटे) का उन्नत प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें उन्हें आधुनिक उपकरण और व्यापार की नई तकनीक सिखाई जाती है।
- दैनिक भत्ता: प्रशिक्षण के दौरान कारीगरों को प्रति दिन ₹5000 का भत्ता भी प्रदान किया जाता है।
3. ऋण सहायता:
- पहला ऋण ₹1 लाख तक: योजना के तहत कारीगरों को ₹1 लाख तक का ऋण बिना किसी गारंटी के दिया जाता है। इस ऋण की गारंटी भारत सरकार देती है।
- दूसरा ऋण ₹2 लाख तक: यदि पहला ऋण 18 महीनों के भीतर चुकाया जाता है, तो कारीगरों को ₹2 लाख तक का दूसरा ऋण कम ब्याज दर पर दिया जाता है।
4. ब्याज सब्सिडी:
- योजना के तहत ऋण पर ब्याज दर पर सब्सिडी प्रदान की जाती है, जिससे कारीगरों को ऋण चुकाने में आसानी होगी।
5. विपणन और व्यापारिक समर्थन:
- योजना में कारीगरों को विपणन (मार्केटिंग) समर्थन, लॉजिस्टिक सहायता और ब्रांड निर्माण की सुविधा दी जाती है, जिससे वे अपने उत्पादों को बड़े बाजारों तक पहुंचा सकें।
- ई-कॉमर्स और डिजिटल लेन-देन को भी प्रोत्साहित किया जाता है ताकि कारीगर आधुनिक व्यापारिक तरीकों का उपयोग कर सकें और अपनी पहुंच बढ़ा सकें।
6. प्रमाणपत्र और ब्रांडिंग:
- प्रशिक्षण पूरा करने के बाद कारीगरों को सरकारी मान्यता प्राप्त प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है, जिससे उनकी विश्वसनीयता बढ़ती है और वे अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ भी उठा सकते हैं।
पात्रता मानदंड:
- आयु सीमा: आवेदक की आयु 18 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
- व्यवसाय: आवेदक परंपरागत कारीगरी से जुड़ा होना चाहिए, जैसे बढ़ईगिरी, सुनारी, बुनाई आदि।
- अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ न लेना: आवेदक किसी अन्य सरकारी योजना जैसे पीएमईजीपी, मुद्रा योजना आदि से लाभान्वित नहीं होना चाहिए।
- परिवार में कोई सरकारी कर्मचारी नहीं होना चाहिए।
- ई-श्रम कार्ड: योजना के अंतर्गत अधिकतर कारीगर जिनके पास ई-श्रम कार्ड है, वे इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
आवेदन प्रक्रिया:
- आधिकारिक वेबसाइट पर जाएँ:
- अपने ब्राउज़र में pmc.gov.in खोलें।
- पंजीकरण प्रक्रिया:
- “लॉगिन” टैब पर क्लिक करें और “सीएससी लॉगिन” विकल्प चुनें।
- आवश्यक व्यक्तिगत जानकारी भरें और आधार लिंक्ड मोबाइल नंबर के माध्यम से बायोमेट्रिक सत्यापन करें।
- अपने व्यवसाय से जुड़ी जानकारी और बैंक विवरण भी भरें।
- ऋण के लिए आवेदन:
- कारीगर ₹1 लाख तक का ऋण लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं और ऋण की राशि को अपने व्यवसाय के अनुसार उपयोग कर सकते हैं।
- आवेदन जमा करें:
- सभी जानकारी भरने के बाद, घोषणा स्वीकार करें और फॉर्म सबमिट करें।
पंजीकरण के बाद की प्रक्रिया:
- पंजीकरण के बाद, आपको प्रशिक्षण केंद्रों से संपर्क किया जाएगा और प्रशिक्षण की तारीख दी जाएगी।
- प्रशिक्षण पूरा होने के बाद, आपको प्रमाणपत्र और आईडी कार्ड जारी किया जाएगा।
- टूल किट और अन्य सुविधाओं का लाभ भी आपको दिया जाएगा।
यह योजना कारीगरों और शिल्पकारों को उनकी परंपरागत कौशल में आधुनिक तकनीक और वित्तीय सहायता के माध्यम से सशक्त बनाने का महत्वपूर्ण प्रयास है।